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भगवान हनुमान को हजारों साल तक अमर रहने का वरदान क्यों मिला था ! दिल को छू लेनेवाली कहानी !

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

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हनुमान के जीवित होने का राज –

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लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

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आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

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रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

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रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

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हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

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रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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हनुमान के जीवित होने का राज

धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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धर्म की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अनेक अवतार लिए हैं.

त्रेतायुग में भगवान श्रीराम की सहायता करने और दुष्टों का नाश करने के लिए भगवान शिव ने ही हनुमान के रूप में अवतार लिया था. हनुमानजी भगवान शिव के सबसे श्रेष्ठ अवतार कहे जाते हैं.

रामायण हो या फिर महाभारत दोनों में कई जगह पर हनुमान अवतार का जिक्र किया गया है. अब रामायण तो हनुमान के बिना अधूरी ही है किन्तु महाभारत में भी अर्जुन के रथ से लेकर भीम की परीक्षा तक, कई जगह हनुमान के दर्शन हुए हैं.

तो अब सवाल यह उठता है कि अगर रामायण के सभी पात्र बाद में अपना जीवन चक्र पूरा करके चले जाते हैं तो मात्र हनुमान ही क्यों हजारों लाखों साल बाद भी जीवित बताया जा रहा है. क्या है  हनुमान के जीवित होने का राज?

तो आज आपको हम पहले हनुमान के जीवित होने का राज बता देते हैं और उसके बाद आपको बतायेंगे कि कैसे हनुमान भी माता सीता के पास अपनी जीवन लीला समाप्त करवाने गये थे –

हनुमान के जीवित होने का राज –

वाल्मीकि रामायण के अनुसार

लंका में बहुत ढूढ़ेने के बाद भी जब माता सीता का पता नहीं चला तो हनुमानजी उन्हें मृत समझ बैठे, लेकिन फिर उन्हें भगवान श्रीराम का स्मरण हुआ और उन्होंने पुन: पूरी शक्ति से सीताजी की खोज प्रारंभ की और अशोक वाटिका में सीताजी को खोज निकाला. सीताजी ने हनुमानजी को उस समय अमरता का वरदान दिया था. इसलिए हनुमान हर युग में भगवान श्रीराम के भक्तों की रक्षा करते हैं.

हनुमान चालीसा की एक चौपाई में भी लिखा है- ‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन्ह जानकी माता’.

अर्थात – ‘आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते हैं.

जब श्रीराम ने अपनी मृत्यु की घोषणा की –

आपको शायद इस बात का ज्ञान ना हो कि भगवान श्री राम ने अपने जीवित समय में ही यह बता दिया था कि वह कब धरती के सफर को पूरा कर अब स्वर्गलोक में विराजमान होंगे. यह सुनकर सबसे ज्यादा दुःख जिसको हुआ था वह राम भक्त हनुमान जी ही थे. राम जी से यह खबर सुनते ही हनुमान जी माता सीता के पास जाते हैं और कहते हैं : –

‘हे माता मुझे आपने अजर-अमर होने का वरदान तो दिया किन्तु एक बात बतायें कि जब मेरे प्रभु राम ही धरती पर नहीं होंगे तो मैं यहाँ क्या करूँगा. मुझे अपना दिया हुआ अमरता का वरदान वापस ले लो.’

हनुमान माता-सीता के सामने जिद पर अड़ जाते हैं और तब माता सीता ध्यानकर, राम को यहाँ आने के लिए बोलती हैं. कुछ ही देर में भगवान राम वहां प्रकट होते हैं और हनुमान को गले लगाते हुए बोलते हैं-

‘हनुमान मुझे पता था कि तुम सीता के पास आकर यही बोलोगे. देखो हनुमान धरती पर आने वाला हर प्राणी, चाहे वह संत है या देवता कोई भी अमर नहीं है. तुमको तो वरदान है हनुमान, क्योकि जब इस धरती पर और कोई नहीं होगा तो राम नाम लेने वालों का बेड़ा तुमको ही तो पार करना है. एक समय ऐसा आएगा जब धरती पर कोई देव अवतार नहीं होगा, पापी लोगों की संख्या अधिक होगी तब राम के भक्तों का उद्धार मेरा हनुमान ही तो करेगा. इसलिए तुमको अमरता का वरदान दिलवाया गया है हनुमान.’

तब हनुमान अपने अमरता के वरदान को समझते हैं और राम की आज्ञा समझकर आज भी धरती पर विराजमान हैं. हनुमान को हर राम भक्त का बेड़ा पार करना है और जहाँ भी रामनाम लिया जाता है वहां हनुमान जरूर प्रकट होते हैं.

ये था  हनुमान के जीवित होने का राज –

इसलिए आज कलयुग में राम नाम जपने वाला ही सुखी बताया गया

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