Makal mahakaleshwar temple
(महांकाल) महाकालेश्वर मंदिर [ Makal mahakaleshwar temple ]
उज्जैन, मध्य प्रदेश
उज्जैन महाकालेश्वर शिवलिंग स्वयम्भू शिवलिंग माना जाता है, ये स्वयं के भीतर से शक्ति की धाराओं को प्राप्त कर रहा है, जबकि अन्य शिवलिंग मंत्र-शक्ति के साथ औपचारिक रूप से स्थापित किये गए हैं। महांकाल मंदिर कब अस्तित्व में आया यह बता पाना मुश्किल है किन्तु महाकाल मंदिर का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय काव्य ग्रंथों में भी मिलता है, जो की मंदिर की वास्तुकला और भव्यता का वर्णन करते हैं। पुराणों के अनुसार इसकी स्थापना प्रजापति ब्रह्मा ने की थी। छठवीं शताब्दी में मंदिर का उल्लेख मिलता है जिसमे की चंदा प्रद्योता द्वारा राजकुमार कुमारसेन को मंदिर की व्यवस्था देखने के लिए नियुक्त किया गया था। इसी के साथ ५ सिक्के जो की तीसरी और चौथी शताब्दी बी.सी. के, जिन पर महाकालेश्वर भगवान शिव की आकृति अंकित हैं प्रमाणित करते हैं की मंदिर तब भी उपस्थित था।
कुछ पुराने दस्तावेज़ यह भी पुष्टि करते हैं कि मालवा के सुल्तानों और मुगल बादशाहों ने भी महाँकाल मंदिर के पुजारियों को मंदिर के रखरखाव के लिए समय समय पर राशि प्रदान की थी और साथ ही अपने क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए समय समय पे मंदिर में प्रार्थनाएँ भी करवाया करते थे। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि इस्लामिक शासकों ने भी महाकालेश्वर मंदिर की शक्ति को स्वीकार किया था और आस्था के साथ मंदिर को वित्तीय सहायता दी जाती थी। पेशवा बाजीराव-प्रथम ने उज्जैन का प्रशासन अपने वफ़ादार रानोजी शिंदे को सौंपा था, रानोजी का बहुत आमिर दीवान सुखनाथकर रामचंद्र बाबा शेनावी था, लेकिन उसका कोई उत्तराधिकारी नहीं था।पंडितों और विद्वानों ने रामचंद्र बाबा शेनावी को धर्म के कार्यों में धन को उपयोग करने की सलाह दी, इसी के चलते होने उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर का पुनः निर्माण अठारहवें सदी के चौथे और पांचवे दशक में करवाया।
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