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क्या कलयुग के समय मे भगवान की मान्यता कम होती जा रही है ?

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  नमस्कार ब्रिज जी ,आपका सवाल है की कलयुग के समय लोगो के मन मे भगवान् की मान्यता है या नहीं? तो आपको बता दे के जिस तरह के हालात धरती मे है और जितने पाप इस धरती मे हो रहे है उसके हिसाब से तो धरती कब की ख़तम हो जाती | पर अगर धरती है और यहाँ सामन्य जीवन संभव है तो इसका यही मतलब है के यहाँ भगवन भी है |

                            जैसा की सभी जानते है के जहां धर्म है वहाँ अधर्म है , जहां जन्म है वहाँ मृत्यु है | जहां पाप है वहाँ पुण्य है, जहां लोभ है वहाँ दोष है , जहां शांति है वहाँ अशांति है उसी प्रकार जहां कलयुग है वहाँ भगवान भी है | ये बात सभी जानते है – त्रेता युग मे श्री राम ने अपने परम प्रिय मित्र हनुमान से कहा था “कोई भी युग होगा सतयुग , द्वापर युग ,सतयुग या कलयुग एक हनुमान ही धरती पर रहेंगे जो हर युग मे अपने भक्तो के संकट को काटेंगे और उनकी परेशानियों को कम करेंगे ” | और कलयुग के समय धरती इतने पाप के बाद भी अपने स्थान पर खड़ी है तो वो इसलिए क्योकि कही न कही राम का नाम लेने वाला इस धरती मे मोजूद है |

चलिए आपको बताते है ऐसे चमत्कारी हनुमान जी के मंदिर जहां सच मे लोगो की मनोकामना पूरी होती है | ऐसे मंदिर जहां राम का नाम लेने वाला आज भी मौजूद है और अपने भक्तो के कष्टों को दूर कर रहा है |

1. हनुमान मंदिर इलाहबाद (उत्तर प्रदेश ) :

धर्म की नगरी इलाहाबाद में संगम किनारे शक्ति के देवता हनुमान जी का एक अनूठा मन्दिर है। यह पूरी दुनिया मे इकलौता मन्दिर है, जहां बजरंग बलि की लेटी हुई प्रतिमा को पूजा जाता है। ऐसी मान्यता है कि संगम का पूरा पुण्य हनुमान जी के इस दर्शन के बाद ही पूरा होता है। इस मान्यता के पीछे रामभक्त हनुमान के पुनर्जन्म की कथा जुड़ी हुई है।

2.  हनुमानगढ़ी, अयोध्या :

 यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर “हनुमानगढ़ी” के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है और यहां से काफी दूर से भी साफ – साफ देखा जा सकता है। कहा जाता है कि हनुमान यहाँ एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि और रामकोट की रक्षा करते थे। हनुमान को रहने के लिए यही स्थान दिया गया था।  हनुमानगढ़ी जिसे हनुमान जी का घर भी कहा जाता है, यह मंदिर भगवान हनुमान को समर्पित है।

3. सालासर हनुमान मंदिर ( राजस्थान )

सालासर में बालाजी के आने के काफी सालों बाद यहां माता अंजनी का आगमन हुआ। कहते हैं क‌ि बालाजी के अनुरोध पर माता अंजनी सालासर आई। लेक‌िन उन्होंने कहा क‌ि वह साथ में नहीं रहेंगे इससे पहले क‌िसकी पूजा होगी यह समस्या हो सकती है। इसल‌िए बालाजी की माता का मंद‌िर बालाजी मंद‌िर से कुछ दूरी पर स्‍थ‌ित है। इस मंद‌िर में अंजनी माता की गोद में बालाजी बैठे हैं। इस मूर्त‌ि के आगमन की कथा भी बड़ी रोचक है।

4. हनुमान धरा चित्रकूट :

हनुमान धारा के बारे में कहा जाता है की जब श्री हनुमान जी ने लंका में आग लगाई उसके बाद उनकी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वो इस जगह आये जिन्हे भक्त हनुमान धारा कहते है | यह विन्ध्यास के शुरुआत में राम घाट से 4 किलोमीटर दुर है | एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर हनुमान जी की मूरत की पूँछ को स्नान कराकर निचे कुंड में चली जाती है | कहा जाता है की जब हनुमानजी ने लंका में अपनी पूँछ से आग लगाई थी तब उनकी पूँछ पर भी बहूत जलन हो रही थी | रामराज्य में भगवन श्री राम से हनुमानजी विनती की जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके | तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो हनुमान जी की पूँछ पर लगातार गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती रही | यह जगह पर्वत माला पर है |

5. बाला जी हनुमान मंदिर : –

 यूं तो भारत में हनुमानजी के लाखों मंदिर हैं। हर मंदिर पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, पर राजस्थान के दौसा जिला स्थित घाटा मेंहदीपुर बालाजी की बात ही अलग है। मेंहदीपुर बालाजी को दुष्ट आत्माओं से छुटकारा दिलाने के लिए दिव्य शक्ति से प्रेरित हनुमानजी का बहुत ही शक्तिशाली मंदिर माना जाता है। यहां कई लोगों को जंजीर से बंधा और उल्टे लटके देखा जा सकता है। यह मंदिर और इससे जुड़े चमत्कार देखकर कोई भी हैरान हो सकता है। शाम के समय जब बालाजी की आरती होती है तो भूतप्रेत से पीड़ित लोगों को जूझते देखा जाता है।राजस्थान के दौसा जिले के पास दो पहाडिय़ों के बीच बसा हुआ मेहंदीपुर नामक स्थान है। यह मंदिर जयपुर-बांदीकुई- बस मार्ग पर जयपुर से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। दो पहाडिय़ों के बीच की घाटी में स्थित होने के कारण इसे घाटा मेहंदीपुर भी कहते हैं।

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