1- श्रीकृष्ण : महाभारत के सभी योद्धाओं में सर्वश्रेष्ठ श्रीकृष्ण थे। बाल्यकाल में ही गोवर्धन को उठाया और इंद्र को परास्त कर दिया। मात्र ग्यारह वर्ष की अवस्था में ही कंस आदि अधर्मी व्यक्तियों का वध कर चुके थे। उसके बाद कई बार जरासंध को हराया और भाग जाने पर विवश किया। शिशुपाल, एकलव्य, शाल्व, पौण्ड्रक आदि राजाओं को हराया। खाण्डव दाह के समय अर्जुन के साथ मिलकर इंद्र, यम और वरुण आदि देवताओं को परास्त कर दिया।
2- अर्जुन : महाभारत के अनुसार अर्जुन भगवान् विष्णु के अंश से उत्पन्न महर्षि नर के अवतार थे। अर्जुन के जन्म के समय आकाशवाणी नें इन्हें सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर घोषित कर दिया था और देवता भी इन्हें देखने के लिए आए थे। अर्जुन के पराक्रम की कई गाथायें महाभारत में कहीं गई हैं। अर्जुन नें द्रुपद को हराया, खाण्डव दाह के समय श्रीकृष्ण के साथ मिलकर इंद्र आदि देवताओं को हराया। वनवास के समय चित्ररथ गंधर्व को हराया। निवातकवच राक्षस, जिन्हें इंद्र और रावण भी परास्त न कर सके थे, उन्हें अकेले हराया। कर्ण, भगदत्त, द्रोण, भीष्म आदि को हराया। महाभारत युद्ध के बाद पूरे भारत पर विजय पायी।
अर्जुन नें भगवान् शिव से युद्ध करके उन्हें भी प्रसन्न कर लिया था। अर्जुन के पास वरुणास्त्र, आग्नेयास्त्र, वैष्णवास्त्र, ब्रह्मशिर आदि अस्त्र थे। अर्जुन के पास उस समय का सर्वाधिक शक्तिशाली माना जाने वाला पाशुपतास्त्र भी था।
3- सात्यकि : सात्यकि का जन्म यदुवंश में ही हुआ था। इनका वास्तविक नाम युयुधान था। राजा सत्यक के पुत्र होने के कारण ये सात्यकि कहे जाते थे। वास्तव में सात्यकि जिस पहचान के हक़दार हैं, वो इन्हें मिली ही नहीं।
सात्यकि को महाभारत के युद्ध में कोई भी योद्धा पूरी तरह से परास्त नहीं कर पाया। इन्होंने द्रोणाचार्य और भीष्म जैसे यशस्वी योद्धाओं की नाक में दम कर दिया था। सिर्फ भूरिश्रवा ही इन्हें परास्त कर पाए थे परन्तु इसके पीछे भगवान् शिव का वरदान था अतः मैं भूरिश्रवा को सात्यकि से बेहतर नहीं मानता हूँ। इन्होंने कई बार कर्ण को हराया। यदि आप हरिवंश पुराण को भी देखें, तो आप पाएंगे कि ये ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने एकलव्य और पौण्ड्रक की सेना की दुर्दशा कर डाली थी।
4 - भीष्म : भीष्म कुरुवंश के सबसे वृद्ध लोगों में से एक थे। लेकिन फिर भी इनका पराक्रम किसी से छिपा नहीं है। भीष्म नें अपनी सम्पूर्ण शिक्षा परशुराम जी से प्राप्त की थी।
इन्होंने अपने जीवनकाल में कई कारनामे किए थे। काशी के राजा की पुत्रियों के स्वयंवर के समय भीष्म नें वहाँ उपस्थित सभी राजाओं को अकेले हराया था। बाद में इन्होंने महर्षि परशुराम को भी हराया था।
हालांकि विराट नगर के युद्ध के समय भीष्म अर्जुन से परास्त हुए थे साथ ही साथ महाभारत युद्ध के समय इनके सेनापति रहते हुए पाण्डवों की तरफ के किसी भी महत्वपूर्ण योद्धा का वध नहीं हुआ। अतः मैंने इन्हें चौथे नंबर पर रखा है।
4- अभिमन्यु : मैं चौथे नंबर पर भीष्म के साथ अभिमन्यु को भी रखना चाहूँगा। अभिमन्यु ऐसा योद्धा था, जिसे श्रीकृष्ण और अर्जुन से डेढ़ गुना माना जाता था। पर दुर्भाग्यवश अभिमन्यु अल्पायु में ही मारा गया।
चक्रव्यूह तोड़ने की विधि सिर्फ श्रीकृष्ण, अर्जुन, श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न और अभिमन्यु ही जानते थे। जिस दिन अभिमन्यु चक्रव्यूह में घुसा था, तो कौरव पक्ष का कोई भी योद्धा उसे पराजित नहीं कर पाया था।
उसने ऐसा पराक्रम दिखाया कि द्रोण, भूरिश्रवा, शकुनि, कर्ण, दुर्योधन, दु:शासन, शल्य, भूरि और अश्वत्थामा आदि मिलकर भी उसे नहीं रोक पाए और उसे घेरकर अधर्म से मार डाला।
5- भगदत्त : ये नरकासुर के पुत्र और प्रागज्योतिषपुर के राजा थे। भगदत्त नें महाभारत युद्ध के समय भीमसेन जैसे बड़े योद्धा को पराजित कर दिया था। अपने वैष्णवास्त्र के द्वारा इन्होंने अर्जुन के प्राणों को संकट में डाल दिया था।
6- भीमसेन : भीम को शारीरिक रूप से सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता था। इन्होंने हिडिम्ब, किमीर, जटासुर, बक आदि राक्षसों को नंगे हाथों से मार डाला था। इन्होंने कीचक जैसे बलवान योद्धा को उसके 105 भाइयों के साथ अकेले ही मार डाला था।
भीम ने दिग्विजय के समय सम्पूर्ण पूर्व दिशा को जीत लिया था। भीम नें गंधर्वों को हराया था। इन्होंने कर्ण आदि बड़े योद्धाओं को पराजित कर दिया था। भीम नें जयद्रथ वध वाले दिन आठ बार द्रोणाचार्य को रथ सहित उठाकर फेंक दिया था।
7- द्रोणाचार्य : द्रोण एक अत्यंत शक्तिशाली योद्धा और धनुर्वेद के महान आचार्य थे। इनके पास लगभग सभी प्रकार के अस्त्र थे। द्रोण को मारने में पाण्डवों के पसीने छूट गए थे।
8- कर्ण : कर्ण सूर्य का पुत्र और बहुत बड़ा धनुर्धर था। कर्ण के पास दिव्य कवच कुंडल थे, जो उसे युद्ध में अवध्य बनाते थे। कर्ण नें दुर्योधन के लिए दिग्विजय भी की थी तथा महाभारत युद्ध के समय युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव को हर बार हराया। कर्ण नें भीमसेन को भी लगभग दो बार हराया था। कर्ण नें महाभारत युद्ध के सोलहवें और सत्रहवें दिन अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ युद्ध किया था और पाण्डवों को बहुत परेशान किया था।
यदि महाभारत के खिलभाग हरिवंश पुराण को भी ले लिया जाए, तो इस सूची में प्रद्युम्न और बलराम का भी स्थान आएगा।