नींद से अब जाग बंदे,
राम में अब मन रमा,
निरगुना से लाग बंदे,
है वही परमात्मा,
हो गई है भोर कब से ज्ञान का सूरज उगा,
जा रही हर सांस बिरथा सांई सुमिरन में लगा,
नींद से अब जाग बंदे…….
फिर न पायेगा तुं अवसर कर ले अपना तू भला,
स्वप्न के बंधन है झूठे मोह से मन को छुड़ा,
नींद से अब जाग बंदे……
धार ले सतनाम साथी बन्दगी करले जरा,
नैन जो उलटे कबीरा सांई तो सन्मुख खडा,
नींद से अब जाग बंदे……….
यह आरती गणेश चतुर्थी ,गणेश पूजा, वास्तु शान्ति जैसी जगह गाये तो भी अच्छा होगा,गणेश चतुर्थी एक बहुत बड़ा उत्सव है गणेश चतुर्थी पर कहि जगह यह भजन गाये जाते है
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