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श्रीमद भगवद गीता अध्याय 2 श्लोक 41
सफलता उसको मिलती है जो अपने के निर्धारित लक्ष्य के लिए, तय मार्ग पर, दृढ़ता के साथ चलता है और जो दृढ़प्रतिज्ञ नहीं है उनकी बुद्धि अनेक शाखाओं में विभक्त रहती है।
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श्रीमद भगवदगीता - अध्याय 3 श्लोक-19
बड़ी सफलता का हकदार वही है जो कर्मफल में आसक्त हुए बिना, निरंतर अपने कर्म को कर्त्तव्य समझ कर करता है ।
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श्रीमद भगवद्गीता - अध्याय: 7 श्लोक: 16
परमात्मा की सेवा में ये चार प्रकार की पुण्यात्मा ही आती हैं - पीड़ित, ज्ञान के जिज्ञासु, धन की इच्छा रखने वाले तथा ज्ञानी ।
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श्री कृष्ण कहते हैं
समय के साथ-साथ हालात भी बदल जाते हैं इसलिए बदलाव में स्वयं को बदल लेना ही बुद्धिमानी है
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श्री कृष्ण कहते हैं
कर्म को धर्म से श्रेष्ठ माना गया है क्योंकि धर्म करके ईश्वर से मांगना पड़ता है जबकि कर्म करने से ईश्वर को खुद ही देना पड़ता है.!