Navratri 2021 Jaware Importance: नवरात्रि (Navratri) में ज्वारे (जौ) (Jaware) के बिना मां दूर्गा (Maa Durga Puja) की पूजा अधूरी मानी जाती है. शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) हो या फिर गुप्त नवरात्रि या फिर चैत्र नवरात्रि की बात करें, सभी नवरात्रि में ज्वारे (Jaware Importance In Navratri) का काफी महत्व होता है. मान्यता है कि कलश या घट स्थापना (Kalash Sthapna) के साथ ही जौ बोये जाते हैं, क्योंकि इसके बिना मां दूर्गा की पूजा अधूरी मानी जाती है. ये दिन से ही कलश स्थापना के साथ मिट्टी के बर्तन में जौ बो दिए जाते हैं और ये परंपरा काफी पुरानी है.
बता दें कि जौ शुभ मुहूर्त (Navratri Shubh Muhurat) के अनुसार ही बोये जाते हैं. माता रानी की चौकी के पास ही मिट्टी के बर्तन में जौ बो कर उन्हें ढक दिया जाता है. नियमित रुप से उनमें जल अर्पित किया जाता है और नवरात्रि के समापन के दिन ज्वारे को बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है. ज्वारे बोने का एक कारण और महत्व होता है. इतना ही नहीं, ज्वारे उगते समय कई शुभ और अशुभ संकेत भी देते हैं. आइए डालते हैं इन पर एक नजर…
जौ क्या होता है (What Is Jaware)
जौ को ही ज्वारे भी कहते हैं. नवरात्रि के दिनों में मंदिर, घर और पूजा के पंडालों में मिट्टी के बर्तन में ज्वारे बोये जाते हैं. नियमित रूप से इनमें जल अर्पित किया जाता है और ये धीरे-धीरे अंकुरित होकर बढ़ते हैं. और हरी-भरी फसल की तरह लगते हैं. नवरात्रि के समापन पर इन्हें बहते हुए जल में प्रवाहित कर दिया जाता है.
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क्यों बोये जाते हैं ज्वारे (Why Sow Jaware In Navratri)
धार्मिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापना की जाती है और क्रम में कलश स्थापना के बाद मिट्टी के पात्र में ज्वारे बोए जाते हैं. पूजा स्थल पर ज्वारे इसलिए बोए जाते हैं क्योंकि धार्मिक ग्रंथों में सृष्टि की पहली फसल जौ को ही बताया गया है. इसलिए जब भी देवी-देवताओं की पूजा की जाती है तो हवन के समय जौ ही अर्पित किए जाते हैं. इतना ही नहीं, एक मान्यता यह भी है कि जौ अन्न ब्रह्मा है और अन्न का हमेशा सम्मान करना चाहिए. इसलिए पूजा में जौ का इस्तेमाल किया जाता है.
शुभ और अशुभ संकेत देते हैं ज्वारे (Jaware Indication During Navratri)
नवरात्रि के दिनों में बोये जाने वाले ज्वारे आपको आने वाले दिनों के बारे में संकेत देते हैं. मान्यता है कि बोये गए जौ अगर नवरात्रि के शुरुआती तीन दिनों में ही अंकुरित होने लगते हैं तो शुभ होता है. लेकिन अगर ये बिल्कुल उगते ही नहीं है, तो इन्हें आने वाले दिनों के लिए अशुभ संकेत माना जाता है. जौ के अंकुरित न होने का ये अर्थ होता है कि कड़ी मेहनत के बाद भी आपको फल नहीं मिलेगा. इसके साथ ही, अगर आपका जौ हरे या सफेद रंग में उग रहा है तो यह आपके आने वाले कल की ओर इशारा कर रहा है. इसका मतलब होता है कि आने वाला समय खुशहाल होने वाला है.
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