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सच्चा संतोष: एक आध्यात्मिक कहानी जो जीवन बदल देग

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एक समय की बात है, एक छोटे से गाँव में एक गरीब किसान रहता था। उसके पास ज्यादा धन नहीं था, लेकिन वह अपने जीवन से पूरी तरह संतुष्ट था। वह हमेशा भगवान का धन्यवाद करता और अपने पास जो भी था, उससे खुश रहता।

एक दिन गाँव में एक संपन्न व्यापारी आया। उसने किसान को देखकर कहा,

“तुम्हारे पास इतना कम है, फिर भी तुम इतने खुश कैसे रह सकते हो? क्या तुम्हें ज्यादा धन और भव्य वस्त्र नहीं चाहिए?”

किसान मुस्कुराया और बोला,

“धन और वस्त्र से खुशी नहीं मिलती। सच्ची खुशी तो हमारे मन की संतुष्टि से आती है। मैं अपने परिवार के साथ स्वस्थ हूँ, भगवान ने हमें जो दिया है उसके लिए आभारी हूँ। यही मेरे लिए सबसे बड़ा धन है।”

व्यापारी ने सोचा, “शायद सच में संतोष ही सबसे बड़ा धन है।”



शिक्षा:

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सच्चा सुख धन-संपदा में नहीं, बल्कि मन की संतुष्टि और आभार में होता है। अगर हम अपने जीवन की छोटी-छोटी खुशियों को समझें और उनके लिए धन्यवाद करें, तो हमारा जीवन पूर्ण और सफल बन जाता है।


“संतोष में सुख है।”

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