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भगवान शिव बाघ की खाल क्यों धारण करते हैं?

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भगवान शिव का बाघ की खाल (व्याघ्र चर्म) धारण करना यह बताता है कि ये (शिव) - काम, हिंसा, अहंकार व क्रोध (बिना कारण के) से परे हैं । यह उनके अदम्य साहस, शक्ति व उर्जा का प्रतीक हैं । इसका रंग केसरिया अथवा नारंगी होता है , जो त्याग एवं परोपकार का प्रतीक हैं ।

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महाभारत एवं कुछ पुराणों मे इनके द्वारा - मृगचर्म (हिरण की खाल) एवं गजचर्म (हाथी की खाल) पहनने का उल्लेख मिलता हैं । वेदों मे भी रुद्र को कृतिवास कहा गया हैं क्योंकि वे पशुओं का चर्म धारण करते हैं । तो इस प्रकार महादेव के दिगम्बर होने का तो प्रश्न ही नहीं उठता । यह किसी भी जीव अथवा पशु को मारकर उसका चर्म नहीं पहनते । बल्कि मृत पशु के चर्म को अपने पहनने के काम लाते हैं ।

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