सावन शुरू होते ही तीर्थयात्री कैलाश मानसरोवर की यात्रा करते हैं। इसी बीच सावन के आखिरी सोमवार को हिंदू तीर्थयात्रियों ने यहां झील किनारे हवन-पूजन किया। बात दें कैलाश पर्वत चीन के तिब्बत स्वशासी क्षेत्र में स्थित है। इसपर अली प्रीफेक्चर के डिप्टी कमिश्नर जी किंगमिन का कहना है कि भारतीय तीर्थयात्री उनके क्षेत्र में आते हैं। ऐसे में उन्हें नियम और कानूनों का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हम भारत जाएंगे तो वहां के नियमों का पालन करेंगे।
सुविधाओं का ध्यान रखें
किंगमिन ने कहा, "चीन कैलाश मानसरोवर आने वाले भारतीय यात्रियों की सुविधा का चीन पूरा ध्यान रखता है। भारत को भी अपने क्षेत्र में यात्रियों की सुविधा के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाना चाहिए। हमें इस बात की उम्मीद है कि भारत सरकार अपने तरफ की सड़क सुधारेगी। यात्रियों को उत्तराखंड के लिपुलेख से आने में चार से पांच दिन लगते हैं। इसमें काफी समय और ऊर्जा लगती है।"
किंगमिन ने आगे कहा, "यहां की सरकार यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखती है। यात्रियों को कोई तकलीफ ना हो, इसके लिए हमने रास्ता ठीक करने में भी काफी पैसा लगाया है।"
मानसरोवर झील के किनारे यज्ञ
इस मामले पर बैच 13 के संपर्क अधिकारी सुरिंदर ग्रोवर ने कहा कि उनका जत्था दिल्ली से 30 जुलाई को रवाना हुआ है। इसके बाद जत्थे ने कैलाश की परिक्रमा पूरी की और फिर मानसरोवर झील के किनारे यज्ञ किया। यज्ञ इसलिए किया गया क्योंकि सोमवार और कार्तिक मास परितोष तिथि थी। इसलिए यज्ञ करना शुभ था।
क्यों है इतनी मान्यता?
कैलाश मानसरोवर की मान्यता ना केवल हिंदू बल्कि बौद्ध और जैन धर्म में भी है। हिंदुओं की मान्यता के अनुसार कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। बौद्ध धर्म में मान्यता है कि बुद्ध इसी क्षेत्र में अपनी मां रानी महामाया के गर्भ में आए थे। वहीं जैन धर्म का मानना है कि उनके पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को कैलाश के पास अष्टपद पर्वत पर मोक्ष मिला था।
जून से सितंबर के बीच होती है यात्रा
हर साल जून से सितंबर के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय कैलाश मानसरोवर की यात्रा करवाता है। जिसमें हिंदू, बौद्ध और जैन तीर्थयात्री शामिल होते हैं। इस यात्रा के लिए चीन सरकार से वीजा लेना होता है। यहां जाने के दो रास्ते होते हैं। एक रास्ता उत्तराखंड में लिपुलेश दर्रे और दूसरा सिक्किम में नाथू ला दर्रे से होकर जाता है।