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Pune ke prachin aur prasidh ganesh pandal

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 Pune ke prachin aur prasidh ganesh pandal

1. कसबा गणपती


कसबा गणपती पुणे के कसबा पेठ में स्थित है

वर्ष 1639 शिवाजी महाराज और जीजाबाई भोसले ने कसबा गणपती मंदिर का निर्माण करवाया था। मंदिर में स्थापित गणेश प्रतिमा विनायक ठाकर के घर के पास मिली थी। गणेश चतुर्थी के आखरी दिन पुरे कस्बे की विसर्जन की प्रक्रिया श्री कस्बा गणपति के नेतृत्व में होती है। गणेश चतुर्थी आखिरी 10 वें दिन पहले कसबा गणपती मंडल से मूर्तियों विसर्जित कि जाती हैं उसके बाद अन्य मंडल अपना काम शुरू करते हैं।

पुणे के प्राचीन और प्रसिद्ध गणेश पंडाल

2. Tambadi Jogeshwari

तम्बडी जोगेश्वरी

तम्बडी जोगेश्वरी

अप्पा बलवंत चौक, पुणे में स्थित है

तम्बडी जोगेश्वरी मूलतः देवी दुर्गा का मंदिर है जो की 15 वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसकी मूर्ति अभी भी बरक़रार है। ताम्बेदी जोगेश्वरी को पुणे शहर की संरक्षक देवता भी माना जाता है। इस मन्दिर की विशेषता है की यहाँ श्री गणेश की प्रतिमा हर साल गणेशोत्सव के समय स्थापित की जाती है और अंत में विसर्जित की जाती है। यह क्रम सालों से चला आ रहा है। वर्ष 2000 के बाद गणेशोत्सव के समय से मंदिर के सामने एक भव्य पंडाल लगाया जाता है और मूर्ति को चांदी से बने गुंबद में स्थापित किया जाता है। 


3. गुरुजी तालीम

गुरुजी तालीम 

लक्ष्मी रोड, पुणे में स्थित है

हिन्दू मुस्लिम दोनों ही धर्मो की अटूट आस्था और आपसी प्रेम का प्रतिक है गुरुजी तालीम गणेश पंडाल पुणे। इस पंडाल की स्थापना 1887 में भाकु शिंदे और उस्ताद नालबान के हिंदू और मुस्लिम परिवारों ने मिल के की थी। यह पंडाल लोकमान्य तिलक द्वारा सार्वजनिक गणेशोत्सव शुरू करने के कई वर्षो पहले शुरू किया गया था।



4. तुलशिबाग गणपति

तुलशिबाग गणपति 

तुलशिबाग, पुणे में स्थित है 

तुलशिबाग गणपति मंडल पुणे में पहेली बार 1901 में स्थापित किया गया था। 1975 में इस मंडल को ग्लास फाइबर से बानी गणेश प्रतिमा स्थापित करने का सम्मान प्राप्त हुआ था। यह मंडल शहर के सबसे व्यस्ततम और भीड़ स्थित है। यहाँ की मूर्ति 13 फीट लंबी है जो की 80 किलो से भी अधिक वजनी है आभूषणो से सुसज्जित है


5. केसरीवाड़ा गणपति

केसरीवाड़ा गणपति 

नारायण पेठ, पुणे में स्थित है 

केसरीवाड़ा गणपति का आयोजन 1894 में अपनी स्थापना के बाद से तिलकों का पैतृक घर जो की विंचुरकर वाडा में है, वहां किया जाता था। 1905 में इसे गायकवाड़ वाड़ा में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे वर्तमान में केसरीवाड़ा के नाम से जाना जाता है। केसरीवाड़ा गणपति गणेश उत्सव का आयोजन केसरी ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।

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