Type Here to Get Search Results !

भगवान गणेश जी की सूंढ दाहिनी ओर मुड़ी हो या बायीं ओर, दोनों का क्या महात्म्य है?

0

स्वयं सोच कर देखिये :

किसी ओर मुड़ी हो, उस से किसी भी प्रकार का कोई अंतर कैसे पड़ सकता है?

लेकिन नहीं, यदि आप जैसे भक्तों को विभिन्न बातों में उलझाएंगें नहीं, तो अपनी बात कैसे सिद्ध करेंगें?

वर्षों पूर्व हमें भी एक ज्योतिषी जी ने कहा था, घर के मुख्य द्वार के ऊपर गणपति की मूर्ती स्थापित करें |

कर दी |

४० दिनों में कृपा आनी शुरू हो जानी थी, नहीं आयी तो ज्योतिषी ही बोले, "गणपति जी की सूंड किस दिशा में है?"

बताया बायीं ओर है |

तभी तो !

गणपति जी की मूर्ती केवल वही लिया करें जिसमें उनकी सूंड दायीं तरफ हो |

और हम वर्षों तक इसका कारण ढूंढते रहे |

बाद में २००० में ज्योतिष सीखा ही इसीलिए था ताकि इस प्रकार के नए ज्योतिषी नित नए नए व्याख्यान दे कर हमें उलझा ना सकें |

जिन्होंने भी गणेश जी को देखा हो, तो वे एक सामान्य बुद्धिमत्ता से कल्पना कर के देखें :

अपना दायां हाथ उन्होंने आशीर्वाद देने के लिए उठाया हुआ है, और बाएं हाथ में लड़डुओं का थाल लिए हुए हैं, तो स्वाभाविक रूप से मूर्तिकार सूंड बायीं ओर लड्डू उठाते हुए ही तो बनाएगा |

लेकिन अब ये तो है वर्षों (युगों) से चली आ रही परंपरा, और ज्योतिषी ने आपको कारण बताना है अपनी विफलता का, इसलिए वो ऐसा कारण ढूंढते हैं, जो असल में है ही नहीं |

आपको ९९% मूर्तियां ऐसी ही मिलेंगीं, लेकिन आपको कार्य दिया जाता है उस १% मूर्ती को ढूंढने का, ताकि अपनी विफलता को जस्टिफाई कर सके |

और मूर्तिकार को तो अपनी मूर्तियां बेचनी हैं, इसलिए वे सभी प्रकार की मूर्ती बनाने लगे हैं |



लेकिन आज के भक्त भी केवल आँखें मूँद कर और हाथ जोड़ कर चुपचाप सर हिलाने में यकीन रखते हैं इसलिए ज्योतिषियों की प्रत्येक बात में महातम्य ढूंढने लगते हैं |

कृपया अपने विवेक का प्रयोग करें |

चमत्कार नायक करते हैं, उनकी मूर्तियां नहीं |

मूर्ती ध्यान लगाने में सहायक होती है, इसलिए उसकी पूजा की जाती है, पूर्णतः आदरणीय होती है |

अपनी आस्था को और अधिक सुदृढ़ करें, परमात्मा पर पूर्ण विश्वास रखें, और ऐसी बेकार की नुक्ताचीनी में समय बर्बाद ना करें |

सूंड किसी भी दिशा में हों, विनायक आपके विचारों में हमेशा रहें |

Post a Comment

0 Comments

Top Post Ad

Below Post Ad